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दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया


अभिषेक करो शिवशंकर का व्रत ले  शिव नाम जपा करना।

मन ही शिव काम करे सहजा मन में मत पाप कभी रखना।

सबके प्रति भावुक वृत्ति रहे मत क्रोध करो प्रिय सा रहना।

अति शांत बने हर जाप करो हर काम शिवाय सदा चलना।


शिव सावन में शुभ काम करो यह माह सुहावन है सुखदा।

इस मास चलो जपते शिव को शिववार महोत्सव है वरदा।

समझो अपना शुभ भाग्य जगा यह सावन है उपमा फलदा।

रहते अविराम खड़े चलते सबके प्रति मोहक रूप सदा।


सबको शिव दान दिया करते अति भावुक हो सबसे मिलते।

खुश हो कहते चलते सबसे सब शांत करें जग को जलते।

सबमें अतिमानव प्रेम पले शुभ मानव मान दिखे फलते।

बल -पौरुष का उपयोग सहर्ष सहाय सुखाय शिवाय मते।


मनमस्त सदा शिवशंकर का हर रूप निराल लुभावन है।

शिवशंकर का यह सावन उत्तम पावन भव्य सुहावन है।

अति शीघ्र प्रसन्न सदा शिवशंकर प्रेम निधान स्वभावन है।

मिलिये इस विप्र महा मुनि से यह देव महा बहु पावन है।





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2 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:53 PM

👍👍🌺

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अदिति झा

21-Jan-2023 10:38 PM

Nice 👍🏼

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